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रक्षाबंधन कब है 11या 12 अगस्त 2022को

         इस बार रक्षाबंधन को लेकर लोगों की द्विविधा बनी हुई है कि रक्षाबंधन 11 अगस्त को मनाए या 12 अगस्त 2022  को             ,इस विषय में पंचांग के अनुसार 11 अगस्त को पूर्णमासी 10:00 बजे के बाद आई है अतः दिन में 10:00 बजे के बाद रक्षाबधन मनाया जा सकता है ,         और यही पूर्णमासी 12 अगस्त को सुबह 7:00 बजे तक है , यद्यपि एकमत ऐसा भी है कि जिस दिन उदया तिथि हो उस दिन की तिथि मानना ठीक है,          इस हिसाब से भी 12 अगस्त को पूर्णमासी उदया तिथि के अंतर्गत आती है अतः सुबह 7:00 बजे तक मनाया जा सकता है। यहां पर हम एक निवेदन करना चाहेंगे कि इस महत्वपूर्ण पर्व पर  हम भ्रमित ना हो,      11 तारीख के 10:00 बजे के बाद से 12 तारीख के सुबह 7:00 बजे तक जिसको जब सुविधा पड़े प्रेम पूर्वक त्योहार को मनाना चाहिए।          किसी भी तरह का भ्रम त्योहार का मजा किरकिरा कर देता है ,जैसे कोई भोजन करने बैठा हो और उससे कह दिया जाए कि हमें ऐसा लगता है कि, सब्जी...

प्रेरणा के पल (2 ) आचार्य दिव्यांग भूषण बादल

         प्रेरणा के पल    (2 )

        

                          भयंकर अग्नि कांड  में भी     " बाबू जी का  संतुलन "


 बात उन दिनों की है जब हम अपनी जन्मभूमि ग्राम घाट कोटरा (झांसी) मैं रहते थे उस समय मेरी उम्र लगभग 12 वर्ष या 13 वर्ष की होगी हमारी खेती बटाई पर होती थी, गांव के ही एक ठाकुर साहब बटाई पर लिए थे।

गेहूं की फसल खलिहान में आ गई थी, इस समय गेहूं के लिए थ्रेशर का चलन शुरू हुआ था , हमारे बहुत करीबी रिश्तेदार ने नया ट्रैक्टर खरीदा था और थ्रेसर भी, उस ट्रेक्टर में साइलेंसर का मुंह ऊपर की ओर ना होकर नीचे की ओर था, गर्मी का समय था, थ्रेसिंग हो रही थी, अचानक साइलेंसर से एक चिंगारी निकली और पास में रखी गेहूं की फसल में छू गई...

फिर क्या था 10 मिनट में बड़े भारी खलिहान में आग लग गई! ट्रैक्टर को भी नहीं बचा पाए पूरा खलिहान जल गया, और ट्रैक्टर भी जल गया, मेरी अम्मा जी उस समय खलिहान में ही थी, यह भयानक अग्निकांड देखकर बड़ी दुखी हुई, और रोती हुई घर आईं ..
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बाबूजी घर में बैठे थे अम्मा जी ने रोते हुए बताया कि पूरा खलिहान जल गया !
और रिश्तेदारों का ट्रैक्टर भी जल गया! अब क्या होगा ??
बाबूजी के चेहरे पर जरा सी भी सिकुड़न नहीं आई बड़े शांत भाव से बोले
"चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा "
मैं उस समय वही था उस समय मुझे उनकी इस गंभीरता का ज्यादा अर्थ समझ में नहीं आया, लेकिन कुछ दिनों बाद जब ऐसी ही घटनाओं से दुखी होकर
कई लोगों की आत्महत्या करने की खबर सुनी ,
कई लोगों के बीमार होने की खबर सुनी
कई लोगों के पागल होने की खबर सुनी,

तब समझ में आया की भयंकर परिस्थिति में धैर्यवान होना साधारण बात नहीं है। यद्यपि गृहस्थ जीवन में दुर्भाग्य से होने वाली भयंकर घटनाओं से दुखी होना सामान्य बात है ,लेकिन ऐसी परिस्थिति में संतुलन बनाकर रखने वाला निश्चित रूप से बड़े से बड़े कष्टों के आने पर विचलित नहीं होता, और उसका नियमित काम भी नहीं रुकता। उसकी उन्नति भी नहीं रुकती बल्कि ऐसे समय में दुखी होकर उल्टे सीधे काम से होने वाले बड़े भारी नुकसान से भी बच जाता है।

बाबूजी का उस समय का संतुलन आज भी हमारे जीवन में प्रेरणा बना हुआ है, और जब कभी भी कोई विकट परिस्थिति आती है, या आएगी, तो मैं उस घटना का स्मरण कर लेता हूं।

सज्जनों ऐसे संतुलन का स्वभाव कैसे प्राप्त होता है? इस विषय में शास्त्रों का मत है कि

"शुचिनाम श्रीमताम गेहे योग भ्रष्टो भि जायते"

एक तो वो लोग होते हैं जो पिछले जन्म के योगी होते हैं, और उनका जन्म श्रीमान-धीमान के कुलों में होता है ।
इनका स्वभाव जन्म से ही अच्छा होता है।
दूसरे वह लोग होते हैं जो इस जन्म में पूरी तरह से अपनी बुद्धि को भगवान के श्री चरणों में समर्पित कर देते हैं, उनका स्वभाव भी भगवान की कृपा से भगवान जैसा ही हो जाता है।
जैसे कोई व्यक्ति अपना दिल जिसको भी देता है तो उसके दिल में उसका स्वभाव आने लगता है दिल देना ही बुद्धि समर्पण है।
मानव जीवन में यह उपाय सबसे सरलऔर सबसे सुगम और सबसे श्रेष्ठ है ,क्योंकि हमारा स्वभाव निश्चित रूप से पिछले जन्म के कर्मों के हिसाब से बनाया जाता है, जो कि जीवन भर नहीं बदलता, लेकिन जो अपने मन को यानी बुद्धि को या दिल को भगवान के चरणों में अर्पित कर देते हैं यानी उन से प्रेम करने लग जाते हैं जिसे भक्ति भाव कहा जाता है उनका स्वभाव निर्मल हो जाता है और भी इस संसार में बड़े आनंद से जीवन बिताते हैं।

हमारे पूज्य बाबूजी जन्म से ही निर्मल स्वभाव के थे, उनकी दृष्टि में सभी का सम्मान था बहुत उदार चित्त थे।
अगर आपको यह प्रकरण अच्छा लगा हो तो भगवत भक्ति की ओर मन को मोड़िए , निस्संदेह आनंद मय जीवन बनेगा।
सर्वे भवंतु सुखिनः इस भावना के साथ सादर जय श्री कृष्ण जय श्री राधे।
आचार्य दिव्यांग भूषण बादल

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